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दोहा सृजन 3
विषय हास्य रस आधारित
तिथि 30 /3/18
दिन शुक्रवार
दोहा लिखने मैं चला, लेकर कलम दवात।
बनता कुछ ना जब दिखा, लगा खोदने दाँत।
दाँत टूट कर गिर गया, मुंह से निकले खून ।
खूँ देख बेहोश हुए, मिस्टर अफलातून।
अफलातू की सास को, हुआ पेट में दर्द।
"आ मेरी पीड़ा हरो, यदि कोई हो मर्द । "
मर्द कई आए मगर , मिटी ना उसकी पीर।
आके सखियाँ कुछ कहीं ,बना गई तकदीर ।
थी तकदीर सँवर गई ,बोल गई सब बात ।
मन व पेट हल्का हुआ, बीती सुख से रात ।
रात पति ने पूछ लिया, सखियाँ बोलीं बोल?
"निंदा का उत्पात है , अनपच गठरी खोल।"
#सुनील_गुप्ता #सीतापुर
#सरगुजा_छत्तीसगढ
#पाठशाला_काव्य_गुंजन
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