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दिनांक 10/ 1/ 2018
विषय पिता
वार बुधवार
अतुकांत रचना
पिता जो जन्म दे
पाले पोसे ।
पढ़ाये-लिखाये।
कष्टों को दूर करे .........
पाले पोसे ।
पढ़ाये-लिखाये।
कष्टों को दूर करे .........
पिता .......
जिसका हाथ सदैव
छाया के लिए सिर पर हो
बच्चे के लिए
जहां आशीष हो ........
जिसका हाथ सदैव
छाया के लिए सिर पर हो
बच्चे के लिए
जहां आशीष हो ........
पिता ...........
जिसके पांव को पुत्र
पूज्य समझे
जो पांव संतान के प्रति
परिवार के प्रति
कर्तव्य पथ से डिगे नहीं.........
जिसके पांव को पुत्र
पूज्य समझे
जो पांव संतान के प्रति
परिवार के प्रति
कर्तव्य पथ से डिगे नहीं.........
पिता .....
जो परेशानियों में
घिरकर भी
परिवार को हर परेशानी
और कष्टों से दूर रखें.............
जो परेशानियों में
घिरकर भी
परिवार को हर परेशानी
और कष्टों से दूर रखें.............
पिता ...........
जो सुख का ही नहीं
दुख का भी साथी हो।
पिता ..........
जो परिवार के लिए
खुद को कुर्बान कर दे ।
जो सुख का ही नहीं
दुख का भी साथी हो।
पिता ..........
जो परिवार के लिए
खुद को कुर्बान कर दे ।
पिता ......
जो परिवार को जोड़ता है
पिता जो अपने लिए नहीं
दूसरों के लिए जीता है......
जो परिवार को जोड़ता है
पिता जो अपने लिए नहीं
दूसरों के लिए जीता है......
"पिता या फिर अच्छा पिता
वह है जो #पिता नहीं है
या वह है जो #पीता नहीं है "
वह है जो #पिता नहीं है
या वह है जो #पीता नहीं है "
इसकी व्याख्या होनी चाहिए
पर आत्मविश्लेषण
पहले जरूरी है ........
पर आत्मविश्लेषण
पहले जरूरी है ........
#सुनील_गुप्ता #सीतापुर
सरगुजाछत्तीसगढ
सरगुजाछत्तीसगढ
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