रोला छंद मे एक रचना ।

New year special


#शब्द_श्रृंगार
 विषय          चित्र लेखन
दिनांक     2/1/ 2018
दिन            मंगलवार
 विधा          ग़ज़ल

 कहें दिल की बात जुबान से जरूरी नहीं।
 इशारों की बात कहे कोई पूरी नहीं।।

 चाहे तो उँगलियों में होती है बातें
  कहां चलता है पहिया गर धुरी नहीं ।

जो रस्मो रिवाज यहां सदियों से है ।
यह भी छत्तीसगढ़िया कानपुरी नहीं ।

और दिल की सदा की कोई भाषा न बोली ।
प्यार को काट पाए कोई छूरी नहीं ।

प्रीत में ही समर्पण के भाव तो रखो।
मीत मिलेगा नज़र यदि बुरी नहीं।

#सुनील_गुप्ता                #सीतापुर
सरगुजाछत्तीसगढ      #शब्द_श्रृंगार

Comments