रोला छंद मे एक रचना ।

अंधा कानून

लघुकथा सृजन

         "पो--पों       - पों  -पों।"पीछे से कार वाला हार्न  बजाए जा रहा था ........किंतु बगल में लोगों की भीड़ थी ......और सामने मोटरसाइकिलें।

                दूधवाले के साइकिल से दूध के बड़े बड़े बर्तन बंधे  हुए थे और वह मोटरसाइकिल के बगल से ही निकल सकता था--- वह अभी सोच रहा था कि -पीछे से किसी ने पकड़ा और" रटाक- रटाक" दो थप्पड़ जड़ दिया ।

                  "हरामखोर ,आधे घंटे से हार्न  बजा रहा हूं सुनाई नहीं देता---?"
                 वह कार वाला था जो बेहद गुस्से में था ।थप्पड़ और गाली की आवाज सुन तुरंत भीड़ जमा हो गई। कुछ तमाशबीन थे जो कारवाले की तरफदारी करने लगे ।अचानक एक आदमी ने दूधवाले का पक्ष लिया ।और कार वाले को ही दोषी ठहराने लगा- तो दूध वाले का भी हौसला बढ़ा -उसने कार का नंबर लिया और दूध वाले को लेकर रिपोर्ट लिखाने चल पड़ा। कार वाले को धमकाते हुए कि-" अभी बताते हैं तेरी कार की हेकड़ी "..........
                "चलो चलो " -पीछे पीछे कार वाला भी  चल पड़ा ।कुछ तमाशबीन भी साथ हो लिए। वह मुंशी के पास रिपोर्ट लिखाने लगे ।
                इतने में एक सिपाही वहां आया और उसने दूध वाले की रिपोर्ट लिखा रहे व्यक्ति से कहा--" आपको साहब बुला रहे हैं "
                    "साहब मतलब ?"
                    "टीआई साहब" सिपाही बोला।
" आ रहा हूं -"कहकर वह चल दिया ।
                     इधर दूधवाले ने रिपोर्ट लिखा ली तो मुंशी बोला -"गवाह किधर है ?"

                   वह भीड़ की ओर देखने लगा। तमाशबीन एक- एक कर छँटने लगे ।दूधवाला टीआई के चेंबर में उस व्यक्ति को देखने गया जो रिपोर्ट लिखाने में उसकी मदद कर रहा था। वह वहां भी नहीं था।
                      वहाँ कार वाला टीआई साहब के साथ ठंडा पी रहा था ।डरते-डरते दूधवाले ने पूछा-" हमरे नेता जी आए  रहित? "

                    "वह चले गए-।"कड़क आवाज में टीम आई ने कहा --"क्यों-?"

                        "गवाही के लिए मुंशी जी बुला रहे थे --"
               "वह लौट गया --टीआई बोले -"कोई दूसरा गवाह है ?"
                    "अभी तो नहीं है साहब--" वह थूक गटकते हुए बोला।
               "चुपचाप निकलो  ।अमिताभ बच्चन के गीत सुने हो ना-----ये अंधा कानून है --"टीआई साहब गाना गाने लगे।कार वाला टेबल पर उंगली से ताल मिलाने लगा।

#सुनील_गुप्ता               #सीतापुर
सरगुजाछत्तीसगढ
#साहित्य_सागर

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