रोला छंद मे एक रचना ।

मजदूर (मुक्तक )

मुक्तक संख्या  48
विषय        मजदूर
मात्रा              25

वजन 2122 2112 2222 212

सृष्टि   का  निर्माण  करता मैं  वह मजदूर हूँ ।
भूख से  फिर भी  तड़पता  इतना मजबूर हूँ।
यह कहीं ना कहीं व्यवस्था में खामी है समझ
पीढ़ियाँ   कर   कर  मरीं  रोटी  से पर दूर हूँ।

#सुनील_गुप्ता     #सीतापुर
#सरगुजा_छत्तीसगढ
#साहित्य_सागर

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